सितंबर का महीना था। काली अँधेरी रात थी। धीरे धीरे से हवा की ठंडी लहरें आ रही थी, आकाश में बिजली चमक रही थी। महेन्द्रचाचा अपने घर से दूर अपने खेतमें खाट में सोए हुए थे।
उनका खेत गाँव के तालाब के पास था। बारिश के कारन पूरा तालाब भर गया था और खेत में घास भी ज्यादा हो गई थी। उसके करन अंधेरेमें यह सब ज़्यादा डरावना लग रहा था। उस तालाब के किनारे आम के 6 -7 बड़े बड़े पेड़ थी। आम के पेड़ की डालियो के आवाज भी काफी डरावना लगता था।

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